मेरे चहेते मित्र

Wednesday, March 27, 2013

सुखी होली



सुबह सुबह जब जागा मै 
फटी कमीज में आधा मै 

मुंह पर चुपरा इन्द्रधनुष 
फिर भी लोगों मै  था खुश 

सोचा जाके साफ करूँ 
नल के पास वॉश  करूँ 

ठंडी ठंडी जल को  ले 
अपने चेहरे पर उड़ेले 

मन ही मन मुस्काने लगा 
दर्पण के निकट जाने लगा 

तभी मुझे मलाल हुआ 
मेरा चेहरा तो लाल हुआ 

पानी में भी घोटाला था 
खौन्ग्रेस  का मन काला था 

ज्यों का त्यों मै सर लिया 
ब्रश पकर रगड़ लिया 

पेस्ट नीम हरी सी थी 
उसमें रंग मिली सी थी 

दांतों से धोकेबाजी हुई 
अगस्ता से  सौदेबाजी हुई 

तभी किचेन से महक उठी 
मालपुआ और फुल्कें छोटी 

मुंह की प्यास बढ़ने लगी 
जीभ उधर को  चढ़ने लगी

तभी गैस ने धोखा  दिया
12  के बदले सिर्फ 9  दिया

इंडक्शन ने जान तो बचाली
पर महंगाई ने हलाल कर डाली

इसे देख प्रियसी मैंने पानी बचाली
और इस बार सुखी होली ही मनाली










3 comments:

  1. होली के अवसर पर ढेरों शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  2. kya baat hai, bahot hi khoobsurat rachna hai, that's too good dude, go agead....

    ReplyDelete
  3. अमां हमारी तरफ़ से भी होली मुबारक हो भाई मियां :)

    ReplyDelete

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...