मेरे चहेते मित्र

Saturday, May 18, 2013

गर्मी के मौसम में

गर्मी के मौसम में 
बिजली गई रोशन में 

पसीने की बौछार हुई 
घर में अंधकार  हुई 

दिया  सलाई धुंध लो 
इन्वर्टर का स्विच ऑन करो 

इन्वर्टर  जब फेल हो जाए 
छत पर सारे रेल हो जाए 

 ठंडी हवाओं का मेल हो जाए  
चटाई बिछा अब कोई खेल हो जाए 

अन्ताराक्षरी का प्रोग्राम हो 
गाना सरे आम हो  

जो जीता वही  सिकंदर होगा 
बाकी बैठा बन्दर होगा 

जब हवाए बंद हो जायेंगी 
मच्छरों से सब तंग हो जायेंगे 

तालियों की गर-गराहत होगी 
मच्छरों की शामत होगी 

फिर भी बाज न आएगा 
खून चूस भाग जाएगा 

रक्त दान जब कर देना 
आनबान साब धर देना 

जहाँ भी उसे तुम देखो 
थप्पर से उसको ठोको 

फिर भी जो बच  निकले 
खुद ही तू खुजली करले 

और कोई उपाए नहीं 
बिजली अभी तक आई नहीं 

अब कितना बखान करू 
इस सरकार का गुणगान करू 

बहुत हुआ अब लेट लो 
सब समेत घर में चलो । 





1 comment:

  1. .बहुत सुन्दर प्रस्तुति . जानकी जयंती की शुभकामनायें ..आभार . मेरी किस्मत ही ऐसी है .

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