मेरे चहेते मित्र

Friday, February 3, 2012

ट्राफिक जाम

जब नींद ही देर से खुलेगी 
तो दोस्तों   देर तो होगी ही 
सुना है   दुर्घटना से    देरी भली 
पर    जिन्दगी    देर    बनजाये 
तो    दुर्घटना    बन    जाती   है 
हर दुर्घटना जाम का कारण होती है ।
 चाहे  सड़क  हो या जिन्दगी
 जाम      तो    लगेगी      ही 
 कभी रास्ते जाम  होते    है 
 तो  कभी ख्वाहिशें रुक जातें है
और  जिन्दगी पेट्रोल  की तरह
अपनी रफ़्तार में खर्च होते जाती  है।
 हम ऐसी   गाड़ी में बैठे सवारी हैं
जिसके ड्राईवर को रोकना
किसी के हाँथ में नहीं है ।
वो अपनी मर्जी से गाड़ी चलाएगा
ना जाने   किन - किन रास्तों पर
जिन्दगी  को  कब -कब ले जाएगा ।
जिन्दगी उसी ड्राइवर के रहमो कर्म पर चलेगा
कभी जाम तो कभी अंधाधुंध रफ़्तार मिलेगा ।
अर्चनो की तरह गढ्ढे मिलेंगे
और अंधे मोड़ मिलेंगे धोके जैसा ।
जिन्दगी को ताख पर रख
कभी ना सोचना ऐसा - वैसा
गर तू चाहता है, जाये इस जाम से निकल
ना हो कभी जिन्दगी में विफल
तो कूदना परेगा इस रफ़्तार भरी गाड़ी  से
और जूझना परेगा इस जाम की बिमारी से ।
बजते  हार्न की तरह चिल्लाने से फायेदा नहीं
सुनते सब है , पर बनते बहरे है सभी ।
रास्ता तुझे अपना  बदलना होगा
आखिर कार पैदल अकेला चलना  होगा ।
तू थक जायेगा, पैदल अकेला चलते - चलते
या मर जायेगा ....................!,
एमबुलंस के मरीज सरीखे जाम से निकलते
अगर डर है तो जीवन अपना यही निर्वाह कर ले
वरना  जा अपने रस्ते तलाश , समय की परवाह कर ले ।
क्योंकि जिन्दगी बार - बार नहीं आयेगी
जाम तो हर बार लग जाएगी ।


  

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