खोद लूँ कब्र या गुलिस्तां उगाऊँ
दो टुकड़े इज़्ज़त के कैसे लाऊँ
तिनका कहाँ से ढूँढू
कैसे आशियाना बनाऊं
इस खूंखार जंगल में
दो पल चैन कहाँ पाऊँ
समुद्र के बीच हूँ
फिर भी प्यासा हूँ
कैसे बारीश बुलाऊँ
अपनी प्यास बुझाऊँ
धुप से बदन जल पड़ा है
कहाँ पेड़ लगाऊँ
कब छाह मैं पाऊँ
दो गज़ ज़मीं खोद लूँ कब्र की
या उस ज़मीं पर गुलिस्तां उगाऊँ
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