मेरे चहेते मित्र

Saturday, October 4, 2014

देश के मेहतर


ठिक बरसात से पहले
सारे मेहतर एकत्र हुए

हर के , एक से  अपने
लोक लुभावन अस्त्र हुए

हर कोई नाले का ढक्कन उठाते है
बासी रसगुल्ला नई चाश्नी में लाते है

कहते है,  आधुनिक औज़ार नया ताज़ा है
पिछले मेहतर से साफ़ करने कि क्षमता ज्यादा है

ढक्क्न हटाकर बदबू फैलाते है
हर टोले -मोहल्ले में शोर मचाते है

बड़े जोर से कान फाड़ू शोर से
चिल्लाकर, जाकर   द्वार - द्वार
कहते,  बेहतर मेहतर हम हैं  यार

मोल - जोल का गेम था
बड़ा - बड़ा कैम्पेन था

 हर गाँव - शहर को  जाते थे 
बड़ - बड़  बोल सुनाते थे

एक बार तो मौका दो
बहुमत का तोहफा दो

भ्रष्टाचार के हाथ हटाएंगे
फूल-कमल खिलायेंगे

 न खाने देंगे ना खानेवाले है
अब अच्छे दिन आनेवाले है

 खुशहाली होगी ना कोई विरोधी होंगे
अबकी प्रधानमंत्री चाय वाले मोदी होंगे

बस इतनी छोटी सी आस पर
सबका साथ सबका विकास पर

हमने बेहतर बुन लिया
देश का मेहतर चुन लिया


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