हर रात सोने से पहले
जब पूरी दुनिया सन्नाटे में
गुम हो जाती है ।
तब मेढको की महफ़िल जमती है ,
और कोव्वाली गाती है ।
बिस्तर पर परे - परे
सुकून का शोर सुनते है ,
और ये मेढक अपना
ताना बाना बुनते है ।
शूरु करते है एक आइटम साँग ,
मनुष्य सोचते है हमेशा रांग ।
आइटम में भी भक्ति होती है ,
बारिस को बुलाने की सकती होती है ।
माइकल जैक्सन और A .R . रहमान भी फेल होता है
मुजिक का नया मेल होता है ।
सम्पूर्ण वादी ऑडिएंस बन जाती है ,
ठंडी हवाए स्पोंसर करने जाने कहाँ से आती है ।
स्पोंसर मिलते ही बनती है टीम भावना ,
मेढको की फ़ौज बन्ने की है , सम्भावना ।
कुछ गली में , कुछ नली में ,
कुछ दीवार की तली में घाट लगाते है,
डर से अब सारे पेड़ म्यूजिक बजाते है ।
और ये मेढक गला फार कर ,
Rock - Pop गाते है ।
नया म्यूजिक सुनकर सब कायल हो जाते है,
देखो बदल भी घूम-घूम कर आते है ।
प्रोग्राम सुनने को पब्लिक मंडराती है ,
इसी बिच कुछ बादलों की आपस में टक्कर हो जाती है ।
सिचुयेसन बहुत ख़राब है, माहौल पूरा गरम ,
बादलों की लड़ाई में हुई बहुत धराम -धरम ।
सब बरसे सब पर , हो गए सब लत-पत ,
प्रोग्राम का बनता धर हुआ , मेरा गया जूता फट ।
और कुछ खोने से पहले ,
दोस्तों ज्यादा बारिश होने से पहले ।
,मै घर को जाता हूँ ,
सड़क छोर जाता हूँ ।
वरना जल जमाव हो जायेगा ,
मेढक इसमें नहायेगा
और अपना कवि डूब जायेगा ।
bahut badhiya laga ye barish ka geet...
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteअनु
बहुत ही रोचक |
ReplyDeletenice
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