मेरे चहेते मित्र

Sunday, November 6, 2011

तलाश


जब भी होती हो आस पास 
तुझे देखने की रहती है प्यास 
नज़रें सख्त चट्टान साथ 
करती है दीदार साँस दर साँस
पलकों का पीछा करते गीरे जैसे आकाश
और उस अँधेरे में ख्याल है तेरा खास 
और उठे तो खोले खजाने का कपाट...
 जिससे बढ़ जाती है फिर मेरी दीदार की प्यास 
खज़ाना देख लालच किसे ना होता  
मैं तो बस अदना इंसान हूँ छोटा 
सिर्फ खुद से बेबस ख़जाना देखता हूँ 
और वो खुद  मेरे पास आए  यही सोचता हूँ  
पर सोचने से पूरी नहीं होती है आस 
सिर्फ इंतजार ही है शेष मेरे पास 
इंतजार भी इंतजार कर थक जाएगी 
तब खुद का प्रयास ही रंग लाएगी 
वही मेरी तलाश कहलाएगी

1 comment:

  1. एकदम सीधी सच्ची बात कहती कविता जो मेरी अब तक पढ़ी गयी बेहतरीन कविताओं मे से एक है।

    ReplyDelete

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...