कुछ बंदिशे तोरने को दिल चाहता है
कुछ गलतियाँ करने को दिल चाहता है
हम चल ना सके जिन राहों में
उन रास्तों पर चलने को दिल चाहता है
करता तो हूँ मै हमेशा ही अच्छे काम
पर आज कुछ गलत करने को दिल चाहता है
बोलता हूँ हमेशा ही अच्छे बोल
पर आज गलत बोलने को दिल चाहता है
क्यूँ बोझ ढोता रहू मै समाज की
आज समाज से लड़ने को दिल चाहता है
ना ही मागुंगा इजाजत ना ही लूँगा किसी की मदद
बस यूँ ही गिरते पड़ते दौड़ने को दिल चाहता है
मेरी जिन्दगी खुले आसमां के नीचे खरी
आज पंख लगा उड़ने को दिल चाहता है
तू देख मेरे हसरतों के खज़ाने को
आज खज़ाना भरने को द्दिल चाहता है
ख़्वाब जो भी देखे है मैंने
सारे ख़्वाब पुरे करने को दिल चाहता है
No comments:
Post a Comment