गर्मी के मौसम में
बिजली गई रोशन में
पसीने की बौछार हुई
घर में अंधकार हुई
दिया सलाई धुंध लो
इन्वर्टर का स्विच ऑन करो
इन्वर्टर जब फेल हो जाए
छत पर सारे रेल हो जाए
ठंडी हवाओं का मेल हो जाए
चटाई बिछा अब कोई खेल हो जाए
अन्ताराक्षरी का प्रोग्राम हो
गाना सरे आम हो
जो जीता वही सिकंदर होगा
बाकी बैठा बन्दर होगा
जब हवाए बंद हो जायेंगी
मच्छरों से सब तंग हो जायेंगे
तालियों की गर-गराहत होगी
मच्छरों की शामत होगी
फिर भी बाज न आएगा
खून चूस भाग जाएगा
रक्त दान जब कर देना
आनबान साब धर देना
जहाँ भी उसे तुम देखो
थप्पर से उसको ठोको
फिर भी जो बच निकले
खुद ही तू खुजली करले
और कोई उपाए नहीं
बिजली अभी तक आई नहीं
अब कितना बखान करू
इस सरकार का गुणगान करू
बहुत हुआ अब लेट लो
सब समेत घर में चलो ।