सन्नाटा क्या होता है
सिर्फ मन का गूंगा पन
क्योंकि शोर तो सन्नाटे में भी होता है
जिसमें आवाज नहीं आने की
डर हमें सताती है
और अगर कोई आवाज कानो तक
पहुचे उसकी इन्तेजार में ही सहम जातें है
पर कोई भी लब्ज़ हमें सुनाई नहीं देती है
तेज बारिश में ,सुनसान सड़क पर
किसी के ना होने पर
हमें सन्नाटा सा लगता है
और भरी महफ़िल में
किसी पहचान के बिना हम
सन्नाटा महसूस करते है
सर्द हवाओं में भी हम
सूरज के छुपने पर
सन्नाटा सा पातें है
और कड़ी धुप में
जलता बदन सन्नाटा महसूस करता है
मै कवी हूँ और अर्थ से परे लिखना मेरी आदत है
इसलिए सन्नाटे को शोर का
रिश्तेदार जनता हूँ
जो की शोर से कहीं ज्यादा
प्रभावशाली है
शोर तो सिर्फ बहार से विचलित करता है
पर ये सन्नाटा उंदर अन्तः मन को भी झकझोर देता है
और मै इसी सन्नाटे को
अपना दोस्त बना चूका हूँ
जो की मेरे अन्तः मन को रोज झकझोरता है
और रोज मै डरा डरा सा खुद को पता हूँ
सिर्फ मन का गूंगा पन
क्योंकि शोर तो सन्नाटे में भी होता है
जिसमें आवाज नहीं आने की
डर हमें सताती है
और अगर कोई आवाज कानो तक
पहुचे उसकी इन्तेजार में ही सहम जातें है
पर कोई भी लब्ज़ हमें सुनाई नहीं देती है
तेज बारिश में ,सुनसान सड़क पर
किसी के ना होने पर
हमें सन्नाटा सा लगता है
और भरी महफ़िल में
किसी पहचान के बिना हम
सन्नाटा महसूस करते है
सर्द हवाओं में भी हम
सूरज के छुपने पर
सन्नाटा सा पातें है
और कड़ी धुप में
जलता बदन सन्नाटा महसूस करता है
मै कवी हूँ और अर्थ से परे लिखना मेरी आदत है
इसलिए सन्नाटे को शोर का
रिश्तेदार जनता हूँ
जो की शोर से कहीं ज्यादा
प्रभावशाली है
शोर तो सिर्फ बहार से विचलित करता है
पर ये सन्नाटा उंदर अन्तः मन को भी झकझोर देता है
और मै इसी सन्नाटे को
अपना दोस्त बना चूका हूँ
जो की मेरे अन्तः मन को रोज झकझोरता है
और रोज मै डरा डरा सा खुद को पता हूँ